पुखराज पीले रंग का एक बेहद खूबसूरत रत्न है। इसे बृहस्पति ग्रह का रत्न माना जाता है। पुखराज की गुणवत्ता आकार, रंग तथा शुद्धता के आधार पर तय की जाती है। पुखराज तकरीबन हर रंग में मौजूद होते हैं, लेकिन जातकों को अपनी राशि के अनुसार इन पुखराज को धारण करना चाहिए। गुरू ग्रह के शुभ फलों में वृद्धि करने की योग्यता होने की वजह से पुखराज की कीमत सामान्य रत्नों से काफी अधिक होती है। आमतौर पर बाजार में पुखराज की शुरूआत कीमत 1 हजार प्रति कैरेट होती है। इसके ऊपर पुखराज की गुणवत्ता के अनुसार इसकी कीमत बढ़ती रहती है।
पुखराज के तथ्य
पुखराज के बारे में बताया जाता है कि जिन जातकों की कुंडली में बृहस्पति कमज़ोर हो उन्हें पीला पुखराज धारण करना चाहिए।
पुखराज के लिए राशि
मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन आदि लग्नों में पुखराज महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बाकी लग्नों में अपने अशुभ और मारक प्रभावों के कारण यह भोगविलास आदि देकर मृत्यु भी दे सकता है। शुक्र प्रधान लग्नों-वृष और तुला में तो इसका प्रयोग कभी भी नहीं करना चाहिए। जिन लोगों की जन्मकुंडली में बृहस्पति धनु, मीन या कर्क राशि का है, उन्हें यह रत्न पहनने की आवश्यकता कतई नहीं है। बच्चों की जन्मकुंडली में अगर बृहस्पति वृष, तुला, मकर और कुंभ राशि का है तो लग्न के शुभ और अशुभ पक्षों को ध्यान में रख कर ही पुखराज पहनना चाहिए। जिन बच्चों की जन्मकुंडली में वृष का बृहस्पति है, उन्हें पुखराज जरूर पहनना चाहिए।
पुखराज के फायदे
पुखराज धारण करने से मान सम्मान तथा धन संपत्ति में वृद्धि होती है।
यह रत्न शिक्षा के क्षेत्र में भी सफलता प्रदान करवाता है।
इस रत्न से जातकों के मन में धार्मिकता तथा सामाजिक कार्य में रुचि होने लगती है।
विवाह में आती रुकावटें तथा व्यापार में होता नुकसान से बचने के लिए भी पीला पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है।
पुखराज के स्वास्थ्य संबंधी लाभ
- ज्योतिषी मानते हैं कि जिन जातकों को सीने की दर्द, श्वास, गला आदि रोगों से परेशानी है तो उन्हें पुखराज धारण करना चाहिए।
- अल्सर, गठिया, दस्त, नपुंसकता, टीबी, हृदय, घुटना तथा जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए भी पुखराज का उपयोग किया जाता है।
कैसे धारण करें पुखराज
पुखराज गुरुवार के दिन धारण करना चाहिए। धारण करने से पूर्व पीली वस्तुओं विशेषकर जो बृहस्पति से संबंधित हो उनका देना चाहिए। बृहस्पति से संबंधित कुछ वस्तुएं हैं केला, हल्दी, पीले कपड़े आदि। माना जाता है कि पुखराज हमेशा सवा 5 रत्ती, सवा 9 रत्ती, सवा 12 रत्ती की मात्रा में धारण करें। पुखराज धारण करने से पहले इसकी विधिवत पूजा-अर्चना करनी चाहिए। बिना ज्योतिषी की सलाह और कुंडली देखे बिना पुखराज या अन्य रत्न नहीं धारण करने चाहिए।
पुखराज का उपरत्न
- धिया- हल्का पीला,
- केसरी- हल्की चमक- भारी,
- केरू- पीतल के रंग का,
- सोनल- सफेद- पीली किरणें,
- सुनैला- सफेद-रंग का चिकना चमकदार।
- अन्य: पुखराज के स्थान पर टाइगर, सुनहला या पीला हकीक भी धारण कर सकते हैं।
असली पुखराज की पहचान के कुछ आसान उपाय
पीला पुखराज सरसों के फूल के समान गहरा पीला दिखता है। पुखराज का पीलारंग हरापन लिये नज़र आये तो ऐसा पुखराज बिल्कुल नहीं लेना चाहिए।
पुखराज अगर दानेदार अथवा परतदार नज़र आये तो इसे भी नहीं खरीदना चाहिए।
असली पुखराज की परख करने के लिए शीशे के एक ग्लास में गाय का दूध रखें। इसके अंदर पुखराज को डाल दें। अगर असली पुखराज होगा तो एक से डेढ़ घंटे में पुखराज की किरण ऊपर से छिटकती नजर आएगी।
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